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आश्वासन का शिकार हो रहा है बड़की बेडा गांव के सड़क
स्थानीय ग्रामीणों ने कई बार संबंधित अधिकारी एवं विधायक मंत्री संसद को शिकायत कर चुके उसके बाद भी सड़क कार्य का निर्माण नहीं हो सका, आक्रोश में है ग्रामीण
गुंजरडीह पंचायत के बड़की बेडा गांव स्थित बड़की बेडा का सड़क लोगों का आवागमन पूरी तरह से बाधित हो चुका है,ग्रामीणों में काफी आक्रोश है। झारखंड प्रदेश के बोकारो जिला अंतर्गत नावाडीह प्रखंड स्थित नावाडीह थाना क्षेत्र के गुंजरडीह पंचायत के बड़की बेडा से लेकर ग्राम गुंजरडीह खापरा माटी तक ग्रामीण सड़क पूरी तरह से जर्जर एवं टूट कर बिखर चुकी है जिससे ग्रामीणों का आवागमन बाधित हो चुका है अक्सर छोटे-मोटे दो चक्का वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो चुकी है उक्त सड़क सरकार द्वारा लगभग 10 वर्ष पूर्व बनाया गया था किन्तु आज तक मरम्मती नहीं होने के कारण सड़क पुरी तरह से उखाड़ चुका है सड़क में पत्थर इधर उधर तितर बितर हो कर बिखर चुके हैं। जिसके कारण आने जाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है बड़की बेला के ग्रामीण अनीता देवी का कहना है कि इस समस्या की जानकारी स्थानीय जनप्रतिनिधियों मसलन मुखिया विधायक सांसद व जिला परिषद से कई बार किया जा चुका है लेकिन सिर्फ आश्वासन ही उनके द्वारा दिया गया है वही सरोति देवी ने कहा कि यहां सड़क की समस्या तो है ही साथ ही ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण जनप्रतिनिधियों द्वारा उपेक्षा की जाती है पानी की व्यवस्था नहीं है और जंगल होने के नाते आने जाने में भी समस्या उत्पन्न होती है वही सुखलाल हेम्ब्रम का कहना है कि जहां गांव के विकास के लिए सरकार कृत संकल्पित है लेकिन इस गांव के प्रति किसी का भी ध्यान नहीं है जबकि यह गांव बिल्कुल सीसीएल के कोलयरी कारीपानी से सटा हुआ और इसकी विकास की जिम्मेवारी कोलियरी प्रबन्धन की है किन्तु इस ओर ध्यान नहीं है जबकि ग्रामीण इस संबंध में प्रोजेक्ट ऑफिस से बात कर चुके हैं गांव के ही बबीता कुमारी का कहना है कि बड़े-बड़े गांव या सुदूर इलाके के गांव डेवलप करते जा रहे हैं वहां की समस्याओं को सुलझाया जा रहा है लेकिन इस गांव को छोड़ दिया गया है यहां के लोग पुराने ढर्रे से ही जीवन व्यतीत कर रहे हैं इनका कहना है कि सरकार से संबंधित अधिकारी यहां ध्यान दें और यहां की स्थिति को सुधारें। आदिवासी महिला चांद मुनि देवी का कहना है कि सड़क की समस्या तो है ही पेय जल कि समस्या बरसों से बनी हुई है लोग इधर उधर भटक कर नदी नाले झरनें के पानी से ही अपना गुजर-बसर कर रहे हैं ।
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